10 Most Amendment in Indian Constitution - (RAS Main / Railway/SSC Exam)
भारतीय संविधान में किय गये 10 मुख्य संशोधन-
भारतीय संविधान में किय गये 10 मुख्य संशोधन-
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। इसका निर्माण 'संविधान सभा' के द्वारा किया था, इसकी पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी। संविधान सभा ने 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। संविधान सभा की पहली बैठक अविभाजित भारत के लिए बुलाई गई थी। 4 अगस्त, 1947 को संविधान सभा की बैठक पुनः हुई और उसके अध्यक्ष सच्चिदानन्द सिन्हा नियुक्त हुए थे। सिन्हा के निधन के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष बने। फ़रवरी, 1948 में संविधान का मसौदा प्रकाशित हुआ। 26 नवम्बर, 1949 को संविधान अन्तिम रूप में स्वीकृत हुआ और 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। संविधान की सर्वोच्चता 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे कुछ भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है। भारत में संसद नहीं; बल्कि संविधान सर्वोच्च है। भारत में न्यायालयों को भारत की संसद द्वारा पास किए गए क़ानून की संवैधानिकता पर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है।
संविधान में संशोधन
संविधान में समय-समय संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार करने की प्रक्रिया को 'संशोधन' कहा जाता है। सभा या समिति के प्रस्ताव के शोधन की क्रिया के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है। किसी भी देश का संविधान कितनी ही सावधानी से बनाया जाए, किंतु मनुष्य की कल्पना शक्ति की सीमा बँधी हुई है। भविष्य में आने वाली और बदलने वाली सभी परिस्थितियों की कल्पना वह संविधान के निर्माण काल में नहीं कर सकता। अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों की गुत्थियों के कारण भी संविधान में संशोधन और परिवर्तन करना आवश्यक तथा ज़रूरी हो जाता है।
संशोधन की प्रक्रिया
भारतीय गणतंत्र संविधान के संशोधन का कुछ अंश नमनीय है और कुछ अंश की अनमनीय प्रक्रिया है। इन दोनों विधियों को ग्रहण करने से देश के मौलिक सिद्धांतों का पोषण होगा और संविधान में परिस्थितियों के अनुकूल विकसित होने की प्रेरणाशक्ति भी शामिल होगी :
368. 1[संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया -- 2[(1) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संसद अपनी संविधायी शक्ति का प्रयोग करते हुए इस संविधान के किसी उपबंध का परिवर्धन, परिवर्तन या निरसन के रूप में संशोधन इस अनुच्छेद में अधिकथित प्रक्रिया के अनुसार कर सकेगी।
3[(2)] इस संविधान के संशोधन का आरंभ संसद के किसी सदन में इस प्रयोजन के लिए विधेयक पुरःस्थापित करके ही किया जा सकेगा और जब वह विधेयक प्रत्येक सदन में उस सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उस सदन के उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित कर दिया जाता है तब 4[वह राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो विधेयक को अपनी अनुमति देगा और तब] संविधान उस विधेयक के निबंधनों के अनुसार संशोधित हो जाएगा :
पहला संशोधन (1951)
इसके माध्यम से स्वतंत्रता, समानता एवं संपत्ति से संबंधित मौलिक अधिकारों को लागू किए जाने संबंधी कुछ व्यवहारिक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया गया l अभिव्यक्ति के मूल अधिकारों पर इसमें उचित प्रतिबंध की व्यवस्था की गई l साथ ही, इस संशोधन द्वारा संविधान में नौंवी अनुसूची को जोड़ा गया, जिसमें उल्लिखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के अंतर्गत परीक्षा नहीं की जा सकती है
दूसरा संशोधन (1952)
दुसरे संसोधन में, अनुच्छेद 81 को हटाया गया जिसमे, लोक सभा प्रतिनिधि के चयन के लिए 7,50,000 की जनसँख्या की अनिवार्यता को हटाया गया था l मूल प्रावधान के अनुसार 7,50,000 की जनसँख्या पर एक लोक सभा में प्रतिनिधित्व चुने की अनिवार्यता थी l इसके बाद लोक सभा की संख्या 500 सदस्यों तक सीमित कर दी गया
तीसरा संशोधन (1954)
अंतर्गत सातवीं अनुसूची को समवर्ती सूची की 33वीं प्रविष्टी के स्थान पर खाद्यान्न, पशुओं के लिए चारा, कच्चा कपास, जूट आदि को रखा गया, जिसके उत्पादन एवं आपूर्ति को लोकहित में समझने पर सरकार उस पर नियंत्रण लगा सकती है l
चौथा संशोधन (1955)
इसके अंतर्गत व्यक्तिगत संपत्ति को लोकहित में राज्य द्वारा हस्तगत किए जाने की स्थिति में, न्यायालय इसकी क्षतिपूर्ति के संबंध में परीक्षा नहीं कर सकती
पांचवा संशोधन (1955)
इस संशोधन में अनुच्छेद 3 में संशोधन किया गया, जिसमें राष्ट्रपति को यह शक्ति दी गई कि वह राज्य विधान- मंडलों द्वारा अपने-अपने राज्यों के क्षेत्र, सीमाओं आदि पर प्रभाव डालने वाली प्रस्तावित केंद्रीय विधियों के बारे में अपने विचार भेजने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित कर सकते हैं
छठा संशोधन (1956)
इस अधिनियम में, संविधान में 7 अनुसूची और संघ सूची में संसोधन किया गया, 92 प्रविष्टि के बाद एक नई राज्य सूची में नई प्रविष्टि को जोड़ा गया, नई प्रविष्टि को 54 के लिए स्थानापन्न थी l इस संशोधन द्वारा सातवीं अनुसूची के संघ सूची में परिवर्तन कर अंतर्राज्यीय बिक्री कर के अंतर्गत कुछ वस्तुओं पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार दिया गया है
सांतवा संशोधन (1956)
इस संशोधन द्वारा भाषीय आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया, जिसमें अगली तीन श्रेणियों में राज्यों के वर्गीकरण को समाप्त करते हुए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में उन्हें विभाजित किया गया. साथ ही, इनके अनुरूप केंद्र एवं राज्य की विधान पालिकाओं में सीटों को पुनर्व्यवस्थित किया गया
आठवां संशोधन (1959)
इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों के निम्न सदनों में अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाति एवं आंग्ल भारतीय समुदायों के आरक्षण संबंधी प्रावधानों को दस वर्षों अर्थात 1970 तक बढ़ा दिया गया
नौवीं संशोधन (1960)
इसके द्वारा संविधान की प्रथम अनुसूची में परिवर्तन करके भारत और पाकिस्तान के बीच 1958 की संधि की शर्तों के अनुसार बेरुबारी, खुलना आदि क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिए गए l
दसवां संशोधन (1961)
इसके अंतर्गत पूर्व पुर्तगाली अंतः क्षेत्र दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया था
Very good explain thanks a lot.
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